The Freedom Struggle and Scientific community Part - 3 (H)
"एक समृद्ध और मजबूत राष्ट्र के निर्माण के लिए - एक तरफ जहां स्वतंत्र भारत में मानव संसाधन के लिए बड़े पैमाने पर विज्ञान और इंजीनियरिंग शिक्षण संस्थानों की स्थापना करना था, तो वहीं दूसरी ओर उन्नत वैज्ञानिक अनुसंधान सुविधाओं की स्थापना करके विज्ञान और प्रौद्योगिकी की एक ठोस नींव रखना भी अनिवार्य था। जिसमें कृषि से लेकर चिकित्सा अनुसंधान, परमाणु ऊर्जा से लेकर अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी तक के क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के निर्माण करना था , ताकि कृषि और खाद्य उत्पादन की कमी को पूरा करते हुए स्वास्थ्य सुविधाओं, सिंचाई, स्वच्छता, परिवहन, बिजली,और रक्षा जैसे क्षेत्रों में भारत का नवनिर्माण हो सके और हमारे देश को संसाधनों की कमी से न जूझना पड़े। विज्ञान से आत्मनिर्भर भारत के इस एपिसोड में, हमने 1947 से लेकर 1970 की शुरुआत के बीच सीएसआईआर, आईआईटी और विज्ञान के अन्य संस्थानों के रूप में भारत का निर्माण होते हुए देखा है। हम 1958 के साइंटिफिक पॉलिसी रिजोल्युशन के बारे में भी जानेंगे, जिसने आने वाले वर्षों के लिए भारत के विज्ञान कार्यक्रमों को एक नई दिशा और आकार दिया, हम शांति स्वरूप भटनागर, होमी जहांगीर भाभा, प्रशांत चंद्र महालानोबिस, जे सी घोष, विक्रम साराबाई और सतीश धवन जैसे भारत के कुछ वैज्ञानिक दिग्गजों की विरासत पर भी एक नजर डालेंगे।"